भारत की प्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ रिश्तों, लोक-व्यवस्था, शिष्टाचार और सदाचार, अश्लीलता, न्यायालय की अवमानना, मानहानि और अपराध उद्दीपन को लेकर कानून बने हैं।
3.
इसके नव निर्वाचित सदस्य ‘भारत के संविधान के प्रति श्रद्धा और निष्ठा रखने के लिए, ' भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखने के लिए' और ‘संसद सदस्य के कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक निर्वहन करने के लिए' शपथ लेते हैं।
4.
इसके नव निर्वाचित सदस्य ‘भारत के संविधान के प्रति श्रद्धा और निष्ठा रखने के लिए, ' भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखने के लिए' और ‘संसद सदस्य के कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक निर्वहन करने के लिए' शपथ लेते हैं।
5.
(मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूँगा) तथा मैं सम्यक् प्रकार से और श्रद्धापूर्वक तथा अपनी पूरी योग्यता, ज्ञान और विवेक से अपने पद के कर्तव्यों का भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना पालन करूँगा तथा मैं संविधान और विधियों की मर्यादा बनाए रखूँगा।'
6.
मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूँगा, मैं संघ के मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूँगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूँगा।'
7.
(मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूँगा,) मैं-राज्य के मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूँगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूँगा।'
8.
इसके नव निर्वाचित सदस् य ‘ भारत के संविधान के प्रति श्रद्धा और निष् ठा रखने के लिए, ' भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण् ण रखने के लिए ' और ‘ संसद सदस् य के कर्तव् यों का श्रद्धापूर्वक निर्वहन करने के लिए ' शपथ लेते हैं।
9.
वे शर्तें कुछ इस प्रकार हैं-अभिव्यक्ति की यह स्वतंत्रता, भारत की प्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, लोक व्यवस्था, शिष्टाचार या सदाचार, न्यायालय-अवमान, मानहानि या अपराध-उद्दीपन के संबंध में लगाई गई पाबंदियों के अध्यधीन है।
10.
' मैं, अमुक, जो राज्यसभा (या लोकसभा) में स्थान भरने के लिए अभ्यर्थी के रूप में नामनिर्देशित हुआ हूँ ईश्वर की शपथ लेता हूँ/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूँ कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा और मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूँगा।'